श्रीमती प्रीति गाँधी जी को मेरा खुला पत्र

प्रीति दीदी को सप्रेम नमस्कार।

आमिर खान के असहिष्णुता वाले बयान से सभी देशवासी आहत हुए थे और उन दिनों आपके ट्वीट और बयान से साफ ज़ाहिर होता था कि आप भी निश्चित तौर पर काफी आहत हुई थी। तब आपके साथ हमारे जैसे मुख्य धारा से जुड़े सभी देशवासी भी थे जो आमिर खान के बयान से क्रोधित हुए थे। यह काफी स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी क्योंकि जब कोई ऐसी हस्ती जिनका नाम दुनिया में मशहूर हो वो अपने देश की बुराई करे तो इससे आपके देश का नाम पुरे विश्व में ख़राब होता है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया उसे लिखने से कभी नहीं चुकती। आमिर का असहिष्णुता वाला नकारात्मक बयान उस वक़्त आया था जब देश में वामपंथी विचारधाराओं से प्रभावित बिकाऊ मीडिया ने बिहार चुनाव के ठीक पहले असहिष्णुता को झूठी हवा दी थी। आपने मीडिया के अलावा ट्विटर पर भी अपना विरोध जताया था और आमिर खान की कड़ी निंदा की थी।

लेकिन कल जब आपको ट्विटर पर आमिर खान की फिल्म और उसके अभिनय की तारीफ करते देखा तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। ऐसा नहीं है कि मैं कट्टरवादी हूँ, नफरत की भावना से ग्रसित हूँ और आमिर खान जैसे लोग पाकिस्तान चले जाये ऐसा बोलता या लिखता रहता हूँ । लेकिन, आमिर खान ने जिस तरीके से असहिष्णुता को हवा देकर हमारे देश का नाम ख़राब किया है उस से जरूर घृणा करता हूँ। मेरा आज भी यह मानना है कि अगर आमिर खान इस देश में सुरक्षित महसूस नहीं करते तो उन्हें उस देश में शरण लेना चाहिए जहाँ वो और उनका परिवार सुरक्षित महसूस करता हो।

हमारे देश ने आमिर खान को बहुत मान और सम्मान दिया और सर आँखो पर बैठाया, लेकिन, लोगों की भावनाओं की कोई कदर आमिर को नहीं रही और अपने ही देश को भला बुरा कह गए। कमियाँ कहाँ नहीं होती लेकिन उसे सुधारने के लिए प्रयास करना पड़ता है और आमिर ने ख़ुद अपनी एक फिल्म में कहा था कोई भी देश परफ़ैक्ट नहीं होता, उसे परफ़ैक्ट बनाना पड़ता है। लेकिन असल जीवन में वो इसके विपरीत हैं और अपनी मातृभूमि को कोसते हैं। इससे उनकी दोहरी मानसिकता दिखाई देती है और ऐसे किसी भी कलाकार को जनता अपना चहेता सितारा कभी नहीं बनाएगी।   चूँकि हमारा लोकतांत्रिक देश ये अधिकार देता है आप अपनी मर्जी से फिल्म देखें नहीं देखे इसलिए आपका आमिर की फिल्म देखने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते आपका उसका बखान ट्विटर पर नहीं करते, क्योंकि ऐसा करके आपने अपने समर्थकों को एक गलत संदेश दिया है।


आपने लिखा कि आपने उन दिनो आमिर की कड़ी निंदा की जब उसने असहिष्णुता वाला बयान दिया था, लेकिन अब वो समय निकल गया है और अभी उन्होंने एक अच्छी फिल्म बनाई है, तो उनको इस बात का पूरा सम्मान मिलना चाहिए। वो मोदी जी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का संदेश अपनी फिल्म के ज़रिए देना चाहते हैं, इसलिए ऐसा कोई भी काम जो इस अभियान के लिए किया जाए उसे बढ़ावा देना चाहिए। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ, अगर शहाबुद्दीन जैसा माफिया राजनीती में आकर समाज कल्याण के लिए काम कर रहा है तो क्या उसके पुराने कुकर्म भुला देना चाहिए? संदीप कुमार जैसा नेता जो महिला और बाल कल्याण विकास मंत्रालय मंत्री पदपर रहकर महिलाओं का यौन शोषण करता है, लेकिन आज अगर वो माफ़ी मांगकर वापस महिला और बाल कल्याण का काम करे, तो क्या उसके चरित्र पर लगे दाग धुल जायेंगे?

आज राहुल गाँधी से लेकर तमाम वामपंथी पार्टियाँ देश के गरीबों के हित की बात करती हैं और देश से भ्र्ष्टाचार मिटाने की बात तो केजरीवाल जैसा नेता भी करता है तो क्या हम इनके गिरगिट की तरह रंग बदलने की प्रवृत्ति को भुला दें? कांग्रेस का इतिहास भले ही घोटालों से भरा हुआ है लेकिन अगर आज वो देश के विकास की बात कर रहे हैं तो क्या आपके कहे मुताबिक हमें उनको भी सम्मान देना चाहिए और उन्हें मौका देना चाहिए? फिर तो ये सम्मान का मापदंड बस अभिनेताओ के लिए ही नहीं बल्कि भ्रष्ट नेताओ के लिए भी होना चाहिए।

आज जो जनता आपके साथ खड़ी है कल ये आपसे अपना समर्थन वापस भी ले सकते हैं और अपना मुँह मोड़ सकते हैं, क्योंकि मुझ जैसे कई समर्थक भक्त तो हैं लेकिन अंधभक्त नहीं है। हम इस देश के भक्त हैं और हमारे लिए राष्ट्र और मातृभूमि सर्वोपरि है। आप जिस पार्टी से जुडी हैं, उस से कई समर्थकों की उम्मीदें जुडी हुई हैं और लाखों करोड़ों लोग बिना किसी स्वार्थ के अपना योगदान देते हैं, ऐसे में आपका ऐसा लिखना काफी निराशाजनक है। जाने अनजाने में आपने मुझ जैसे कई समर्थकों से दूरी बना ली है। मैं जानता हूँ कि इस से आपको कुछ फर्क नहीं पड़ेगा और संभवतः इसे पढ़कर आप मुझे कट्टर दुर्भावना से ग्रसित समझें और आपको मुझे जैसे एक दक्षिणपंथी विचारधारा समर्थक को खोने का कोई गम न हो। लेकिन बूंद-बूंद करके सागर बनता है और आज आपने एक खोया है, संभवतः कल आपके पास सिर्फ अंधभक्त और चाटुकार ही रह जायें।

भारत माता की जय!

आपका अनुज
कर्ण

6 thoughts on “श्रीमती प्रीति गाँधी जी को मेरा खुला पत्र

  1. चैतन्य कुमार

    हमें इनकी मौक़ापरस्त प्रवृति को पहचाना चाहिए.. जो कि आपने बिलकुल सही लिखा है किसी के माफ़ी माँग लेने से उसके कुकर्म भुले नहीं जा सकते…
    माफ़ी माँगी आमिर ने या जो भी सफ़ाई दी हो अपने उस असहिष्णुता वाले बयान पे ताकि वो यहाँ सुरक्षित है और आगे लोगों के भावनाओ से फिर से खेल सके…
    इनका दोहरा चरित्र इनकी सत्यमेव जयते में भी दिखता है । इनको हिंदुओं के कुरतियो पे बोलने और भगवान को दूध नहीं चढ़ाए वो पैसे से किसी ग़रीब की सेवा करें। ऐसी बातें करते है क्यूँ इन्होंने कभी ट्रिपल तलाक़ और बुर्क़ा प्रथा या हाजी अली पे महिलाओं की पाबंदी पे कोई एक भी एपिसोड नहींबनाया…।
    मैं प्रीति गांधी जी के इन विचारों से बिलकुल असहमत हूँ।
    मैं ये फ़िल्म नहीं देखूँगा और लोगों को भी कहूँगा की आप भी ये सिनेमा ना देखे और पैसे बचाए । बचे पैसे से आप किसी ग़रीब को भोजन कराए । विश्वास करिए आपको इस दुहरे मापदंड वाले आमिर की सिनेमा देखने से ज्यादे आनंद आएगा….

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